बगलामुखी मंत्र अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का एक मुख्य साधन है। ऐसा माना जाता है बगलामुखी मंत्र अपने साधक के लिए भाग्य ले आता है।
देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या है। माता बगलामुखी की उपासना से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। बगलामुखी मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाते है , रोगों की पुरानी समस्याओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करते है और संरक्षण देते है। ऐसा कहा जाता है की बगलामुखी मंत्र के नियमित जप से अहंकार नष्ट होता है और शत्रुओं का नाश होता है।
हल्दी माला
पीत पुष्प , पीत आसन , पीत वस्त्र
शुक्ल पक्ष, चन्द्रावली, शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, रात्रि समय
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देवी बगला बगलामुखी मंत्र की देवी है। उन्हें 'वल्गामुखी' भी कहा जाता है। 'बगला' या 'वल्गा' का शाब्दिक अर्थ 'रस्सी' है जो जिह्वा को नियंत्रित करता है। वह परम शक्तिशाली है जो सभी बुरी शक्तियों को नष्ट कर सकती है। देवी बगलामुखी अपने शत्रुओं पर नियंत्रण लगाने की शक्ति देती है। वह आत्मविश्वास और निर्णयात्मक व्याख्यान का आशीर्वाद भी देती है। उन्हें 'पीतांबरी देवी' भी कहा जाता है क्योंकि उनका वर्ण सुनहरे रंग का है, वह पिले रंग के वस्त्र पहनती हैं और एक सुनहरे सिंहासन पर विराजमान हैं। बगलामुखी देवी को कुपित देवी के रूप में ,जिसके दाहिने हाथ में एक गदा है जिससे वह असुर का संहार करती है और बाएं हाथ से उसका जिह्वा बाहर खींचे हुए, चित्रित किया है।
ऐसा माना जाता है की बगलामुखी मंत्र में चमत्कारी शक्तियां है। बगलामुखी मंत्र शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है। प्रशासन और प्रबंधन के लोगों को , नेताओं को , ऋण या मुकदमे की समस्याओं का सामना कर रहे लोगो को बगलामुखी मंत्र का विशेष सुझाव दिया जाता है। बगलामुखी मंत्र का उपयोग व्यापार में क्षति का सामना कर रहे व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है , जैसे वित्तीय समस्याएं , झूठी अदालत के मामले , निराधार आरोप , ऋण की समस्याएं , व्यापार में बाधाएं आदि। प्रतियोगी परीक्षाओं और वाद-विवाद आदि में भाग लेने वाले लोगों के लिए भी बगलामुखी मंत्र प्रभावी है। बगलामुखी मंत्र अनिष्ट आत्माओं और अशुभ दृष्टि से सुरक्षित रहने में सहयोग करता है।
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
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